मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच पर अद्यतन जानकारी
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 10-19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए ‘मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना’ लागू कर रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से उनके कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन प्लान-पीआईपी) में प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर धनराशि स्वीकृत की जाती है। योजना का प्रमुख उद्देश्य किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाना, किशोरियों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन तक पहुंच और उपयोग को बढ़ाना तथा और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से सैनिटरी नैपकिन का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना है।
इसके अलावा, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) सचिव और जल शक्ति मंत्रालय के सचिव के दिनांक 08.03.2022 के एक संयुक्त पत्र के माध्यम से, राज्यों को : 1) ग्राम स्तर पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 के तहत मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (मेंस्चुरल हाइजीन मैनेजमेंट -एमएचएम) और मासिक धर्म अपशिष्ट का प्रबंधन करने । (2) कक्षा VI से XII तक की लड़कियों वाले स्कूलों में भस्मक (इन्सिनेरेटर) की स्थापना या रखरखाव के लिए व्यवस्था और (3) किशोर लड़कियों और सामान्य रूप से समाज में एमएचएम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए निर्धारित धनराशि का उपयोग करने की सलाह दी गई है ।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी हितधारकों के परामर्श से मासिक धर्म स्वच्छता नीति का मसौदा तैयार किया है। मासिक धर्म स्वच्छता नीति (एमएचपी) का मसौदा संपूर्ण मासिक धर्म अवधि के दौरान व्यापक समर्थन सुनिश्चित करने के साथ ही मासिक धर्म से रजोनिवृत्ति तक महिलाओं की अनूठी जरूरतों को पहचानता है और वंचित एवं अक्षम जनसंख्या को प्राथमिकता देने पर विशेष ध्यान देते हुए मासिक धर्म स्वच्छता संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करता है और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह नीति जागरूकता बढ़ाने, सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है जो मासिक धर्म स्वच्छता को जीवन के प्राकृतिक और सामान्य हिस्से के रूप में अपनाता है। एमएचपी के मसौदे का उद्देश्य मासिक धर्म वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य, कल्याण और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है ।