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प्रधानमंत्री ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का उत्तर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का उत्तर दिया।

प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत के प्रत्येक नागरिक द्वारा सरकार पर बार-बार भरोसा जताने के लिए उनके प्रति कोटि-कोटि आभार व्यक्त करने आए हैं। श्री मोदी ने उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सरकार के लिए शक्ति परीक्षण नहीं है बल्कि उन लोगों के लिए है, जिन्होंने 2018 में इसे सदन में पेश किया था, जब विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम 2019 में चुनाव में उतरे थे, तो लोगों ने पूरी ताकत के साथ विपक्ष पर जनता का कोई भरोसा नहीं होने की घोषणा की थी। उन्होंने बात का उल्लेख किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने पहले से अधिक सीटें जीती हैं। श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव एक तरह से सरकार के लिए भाग्यशाली ही है। उन्होंने विश्वास जताते हुए यह कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी इस बार भी सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे और लोगों के आशीर्वाद से 2024 में विजयी होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष अगर मॉनसून सत्र में प्रारंभ से ही गंभीरता से भाग लेता, तो और भी बेहतर होता। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए और उन पर विपक्ष द्वारा चर्चा की जानी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने इन प्रमुख विधेयकों से ऊपर जाकर राजनीति को प्राथमिकता दी। श्री मोदी ने कहा कि इस सत्र में ऐसे कई विधेयक थे जो मछुआरों, डेटा, गरीबों, वंचितों एवं आदिवासियों से जुड़े हुए थे लेकिन विपक्ष को उनमें कोई रुचि नहीं रही है और यह लोगों की उम्मीदों के साथ धोखा ही था। उन्होंने कहा, विपक्ष ने यह साबित कर दिया है कि उनके लिए पार्टी देश से ऊपर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश विपक्ष को देख रहा है और उसने हमेशा ही भारत के लोगों को निराश किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्र की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है, जब वह पुरानी बेड़ियों से मुक्त होकर नई ऊर्जा व दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का यह समय हमारी सभी आकांक्षाओं को पूरा करने का वक्त है। इस समयावधि में देश जिस तरह का भी स्वरुप लेगा उसका प्रभाव इस पर अगले हजार वर्षों तक पड़ेगा। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि ऐसी स्थिति में हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और हम सभी के ध्यान में एक ही केंद्र बिंदु-राष्ट्र के विकास और देशवासियों के सपनों को साकार करने के लिए पूर्ण समर्पण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश के लोगों और युवाओं की शक्ति हमें हमारी मंजिल तक पहुंचा सकती है।

श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 और उसके बाद के कार्य-निष्पादन रिकार्ड के देखते हुए देश ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है क्योंकि देश के नागरिक जानते थे, उनके सपनों को साकार करने की क्षमता कहां पर निहित है। उन्होंने कहा की हमने भारत के युवाओं को घोटालों से मुक्त सरकार दी है। हमने उन्हें साहस दिया है और खुले आकाश में उड़ने का अवसर दिया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमने दुनिया में भारत की स्थिति को बेहतर बनाया है और हम देश को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में लोगों का भरोसा तोड़ने का असफल प्रयास किया है। श्री मोदी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में वृद्धि, रिकॉर्ड विदेशी निवेश तथा निर्यात के नए शिखर का उल्लेख किया और कहा कि आज निर्धन के मन में भी अपने सपनों को पूरा करने का एक विश्वास पैदा हुआ है। उन्होंने नीति आयोग की 13.5 करोड़ लोगों के गरीबी से बाहर आने संबंधी रिपोर्ट का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के वर्किंग पेपर का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को लगभग समाप्त कर दिया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट ही हवाला देते हुए कि भारतीय प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाएं एक ‘लॉजिस्टिक चमत्कार’ की तरह हैं। श्री मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का जिक्र किया, जिसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि जल जीवन मिशन देश में 4 लाख लोगों की जान बचाने में मदद कर रहा है और स्वच्छ भारत अभियान 3 लाख लोगों का जीवन बचने में सहायता कर रहा है। उन्होंने कहा कि ये देश के वही गरीब लोग हैं, जो शहरी झुग्गियों में रहते हैं। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान पर यूनिसेफ की रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे देश के गरीब परिवारों को प्रति वर्ष 50,000 रुपये बचाने में मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी सदस्यों के शुतुरमुर्ग दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि वे भारत के लोगों का विश्वास नहीं देख पा रहे हैं क्योंकि वे अविश्वास में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष की खराब भाषा और लगातार बुराई करना उनकी सरकार के लिए ‘काले टीके’ (अपशकुन से बचाने के लिए) की तरह कार्य करता है।

श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष की आलोचना के सभी लक्षित संस्थान हमेशा चमकते हैं और इसे ‘विपक्ष का गुप्त वरदान’ माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष वाले जिसका भी बुरा चाहते हैं, अंत में उसका भला ही होता है।

प्रधानमंत्री ने बैंकिंग क्षेत्र के विकास के प्रति विपक्ष के रवैये को याद किया और कहा कि उन्होंने गलत सूचना फैलाने तथा लोगों को भ्रमित करने के सभी प्रयास किये, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ दोगुना हो गया है। उन्होंने देश को एनपीए संकट की ओर धकेलने वाले फोन बैंकिंग घोटाले का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा कि देश इससे उबर चुका है और अब आगे बढ़ रहा है। उन्होंने हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड का उदाहरण भी दिया, जिस पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड आज सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उसने अब तक का सबसे अधिक राजस्व दर्ज किया है। एलआईसी के बारे में विपक्ष द्वारा की जा रही बुराइयों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एलआईसी हर गुजरते दिन के साथ सशक्त हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को राष्ट्र की क्षमताओं और निष्ठा पर भरोसा नहीं है। उन्होंने अपनी उस टिप्पणी का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में उन्हें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रोडमैप के बारे में सरकार से सवाल करना चाहिए था या कम से कम इस संबंध में सुझाव ही देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने विपक्ष की ढिलाई की आलोचना की, जो यह दावा करता है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष का ऐसा रुख नीतियों, इरादों, दूरदर्शिता, विश्व अर्थशास्त्र की जानकारी और भारत की क्षमताओं के बारे में उनकी समझ की कमी को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत अतीत में किस तरह से गरीबी में डूब गया था और 1991 में दिवालिया होने की कगार पर था। हालांकि, वर्ष 2014 के बाद भारत को दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में जगह मिली है। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य चरणबद्ध योजना और कड़ी मेहनत के साथ ही ‘सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन’ के मंत्र के माध्यम से हासिल किया गया था। श्री मोदी ने कहा कि विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा और आवश्यक सुधार किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि 2028 में जब आप अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे तो भारत शीर्ष 3 देशों में शामिल होगा।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष के अविश्वास पूर्ण रवैये का उल्लेख करते हुए स्वच्छ भारत, जनधन खाता, योग, आयुर्वेद, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों में उनके विश्वास की कमी के बारे में भी बताया।

श्री मोदी ने कांग्रेस शासन के दौरान कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ का जिक्र किया और कहा कि तत्कालीन सरकार पाकिस्तान के साथ सहमत होगी और साथ ही उसने शांति वार्ता को जारी रखा। उन्होंने कश्मीरी जनता के बजाय हुर्रियत के साथ तत्कालीन सरकार के जुड़ाव पर भी बात की। प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का उल्लेख भी किया और कहा कि कैसे विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार पर भरोसा करने के बजाय शत्रु द्वारा गढ़ी गई कहानी पर विश्वास करने का विकल्प चुना।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष देश के बारे में बुरा बोलने वालों पर तत्काल विश्वास कर लेता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस तरह की झूठी व भ्रामक खबरों पर जोर देता है और जब भी अवसर मिलता है, वह देश को बदनाम करने का प्रयास करता है। श्री मोदी ने मेड-इन-इंडिया कोरोना वैक्सीन का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इस पर विश्वास नहीं किया और विदेश में निर्मित होने वाले टीकों की ओर देखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को भारत के सामर्थ्य तथा उसके लोगों की क्षमताओं पर विश्वास नहीं है और इसी तरह, लोगों की नजर में विपक्ष के लिए विश्वास का स्तर बेहद निचले दर्जे पर है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विपक्ष गठबंधन निर्माण में दिखावटी बदलाव लाकर देश के लोगों को मूर्ख नहीं बना सकता और नाम में साधारण परिवर्तन से विपक्षी गठबंधन का भाग्य नहीं बदलेगा। श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष ने अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए एनडीए की मदद ली है, लेकिन अहंकार के दो ‘आई’ जोड़ दिए हैं, पहला ‘आई’ 26 पार्टियों के अहंकार के लिए और दूसरा ‘आई’ एक परिवार के अहंकार का। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने भारत को आई.एन.डी.आई.ए. में भी विभाजित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि विपक्ष नाम बदलने में विश्वास रखता है, लेकिन वे अपनी कार्य संस्कृति नहीं बदल सकते। तमिलनाडु सरकार के एक मंत्री की विभाजनकारी टिप्पणी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने राज्य के प्रति अपनी आस्था दोहराई और कहा कि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां देशभक्ति की धारा निरंतर बहती रहती है। प्रधानमंत्री ने नामों के साथ विपक्ष के आकर्षण पर ध्यान केंद्रित किया और यह कहा कि कैसे प्रत्येक योजना और प्रमुख कार्यक्रम का नाम एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा गया था। श्री मोदी ने आई.एन.डी.आई.ए. को ‘घमंडिया’ गठबंधन (अहंकारी गठबंधन) कहा और भागीदारों के बीच विरोधाभासों को रेखांकित किया।

श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि स्वतंत्रता सेनानियों और देश के संस्थापकों ने हमेशा से वंशवाद की राजनीति का विरोध किया था। वंश परंपरा की व्यवस्था आम नागरिक को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि वंशवाद की राजनीति के कारण कई प्रमुख नेताओं को नुकसान उठाना पड़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रकार की राजनीति के शिकार दिग्गजों की कई तस्वीरों को गैर-कांग्रेसी सरकारों के बाद के वर्षों में ही संसद में जगह मिली। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा कि यह संग्रहालय सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित है और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर है।

श्री मोदी ने दोहराया कि भले ही भारत के लोगों ने 30 वर्षों के बाद दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार चुनी, लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे एक ‘गरीब के बेटे’ से परेशान है। उन्होंने बताया कि विपक्ष द्वारा अतीत में विमानों और नौसैनिक जहाजों का दुरुपयोग होता था, जिनका इस्तेमाल अब टीकों के परिवहन तथा विदेशी भूमि में फंसे भारत के लोगों को वापस लाने के लिए किया गया है।

प्रधानमंत्री ने मुफ्तखोरी की राजनीति के प्रति आगाह किया और पड़ोसी देशों की स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी राजनीति बड़ी तबाही ला सकती है। उन्होंने लापरवाही से भरे आश्वासनों के माध्यम से चुनाव जीतने की प्रवृत्ति पर अफसोस जताया और कहा कि विकास परियोजनाएं बंद होने से लोगों पर भारी दबाव पड़ रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष को मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने में कभी दिलचस्पी नहीं रही। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने सभी मुद्दों को धैर्यपूर्वक और बिना किसी राजनीति के विस्तार से समझाया। गृह मंत्री का स्पष्टीकरण देश तथा राष्ट्र के लोगों के प्रति चिंता को व्यक्त करने का एक प्रयास था और यह मणिपुर को सदन का विश्वास दिलाने का एक कोशिश थी। उन्होंने कहा कि यह चर्चा करने और आगे के रास्ते खोजने का एक ईमानदारी से भरा प्रयास था।

प्रधानमंत्री ने मणिपुर मुद्दे पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मणिपुर में होने वाली हिंसा दुखद है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध अस्वीकार्य हैं और केंद्र तथा राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करेंगी कि दोषियों को सजा अवश्य मिले। प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि हम जो भी प्रयास कर रहे हैं, उनसे आने वाले समय में मणिपुर में शांति स्थापित होगी। उन्होंने मणिपुर के लोगों को तथा मणिपुर की माताओं एवं बेटियों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि देश आपके साथ है और पूरा सदन आपके साथ खड़ा है। श्री मोदी ने यह भी आश्वासन दिया कि मणिपुर विकास की पटरी पर वापस लौट कर आएगा और सरकार इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

प्रधानमंत्री ने सदन में मां भारती के लिए आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो विभाजन के लिए ज़िम्मेदार थे और जिन्होंने वंदे मातरम तक का अपमान किया था। श्री मोदी ने विपक्ष की विफलता के उदाहरण के रूप में कच्चाथीवू मुद्दे का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को लेकर तीन घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने सबसे पहले 5 मार्च 1966 की घटना के बारे में बताया, जब मिजोरम में लोगों पर हमले के लिए वायुसेना का इस्तेमाल किया गया था। श्री मोदी ने दूसरे घटनाक्रम, 1962 के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा एक रेडियो प्रसारण को याद किया, जिसमें जब चीनी आक्रमण के दौरान पूर्वोत्तर के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। श्री मोदी ने क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर राम मनोहर लोहिया के आरोप का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार के मंत्रियों ने पूर्वोत्तर के विभिन्न जिला मुख्यालयों में 400 बार रात्रि प्रवास किया है और प्रधानमंत्री स्वयं 50 बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर से मेरा भावनात्मक लगाव है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री बनने से पहले भी उन्होंने पूर्वोत्तर के पूरे क्षेत्र की यात्रा की है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दोहराया कि मणिपुर की स्थिति को इस तरह पेश किया जा रहा है कि यह संघर्ष हाल ही में पैदा हुआ है, लेकिन मणिपुर में सभी मुद्दों की जड़ कांग्रेस और उसकी राजनीति में ही समाहित है। उन्होंने कहा कि मणिपुर समृद्ध भारतीय संस्कृति और विरासत से भरा हुआ है। मणिपुर असंख्य बलिदानों की भूमि है। उन्होंने राज्य में कांग्रेस सरकार के उस समय को याद किया जब हर संस्था चरमपंथी संगठनों के इशारे पर चलती थी और सरकारी कार्यालयों में महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने पर रोक थी। प्रधानमंत्री ने मोइरांग में आजाद हिंद फौज के संग्रहालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर बमबारी का भी जिक्र किया। उन्होंने उस समय का उल्लेख भी किया, जब मणिपुर के स्कूलों में राष्ट्रगान गाने पर रोक लगा दी गई थी और पुस्तकालयों से किताबें जलाने का अभियान शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस शासन के दौरान इस क्षेत्र में होने वाली चरमपंथी गतिविधियों के कई उदाहरण दिए, जिनमें शाम 4 बजे मंदिरों के दरवाजे बंद कर देने तथा इम्फाल में इस्कॉन मंदिर पर बमबारी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और सरकारी अधिकारियों द्वारा चरमपंथियों को संरक्षण राशि का भुगतान किया गया, ऐसी घटनाएं भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र आने वाले दिनों में विकास का केंद्र बनने वाला है। उन्होंने कहा, वे इस तथ्य से अवगत हैं कि वैश्विक व्यवस्था में आंदोलनों से दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान देशों में बदलाव आएगा तथा इसका पूर्वोत्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। श्री मोदी ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे में निवेश के बारे में उल्लेख किया और बताया कि कैसे आधुनिक राजमार्ग, रेलवे तथा हवाई अड्डे पूर्वोत्तर की पहचान बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगरतला पहली बार रेल कनेक्टिविटी से जुड़ा है, मालगाड़ी पहली बार मणिपुर पहुंची है, पहला अवसर रहा है जब वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन इस क्षेत्र में चली है, अरुणाचल प्रदेश में पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाया गया, सिक्किम को हवाई यात्रा से जोड़ा गया है, पहली बार पूर्वोत्तर में एम्स खोला गया है, मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय तथा मिजोरम में भारतीय जनसंचार संस्थान को खोला जा रहा है, पहला मौका है जब मंत्रिपरिषद में पूर्वोत्तर की भागीदारी बढ़ी है और पहली बार किसी महिला ने राज्यसभा में नागालैंड का प्रतिनिधित्व किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार पूर्वोत्तर के इतने सारे लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और लचित बोरफुकन जैसे नायक को गणतंत्र दिवस पर सम्मान के साथ याद किया गया तथा रानी गाइदिन्ल्यू के नाम से एक संग्रहालय की स्थापना की गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विश्वास हमारे लिए एक नारा ही नहीं है बल्कि यह विश्वास का प्रतीक है और एक प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा, “मैं देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि शरीर का कण-कण और क्षण-क्षण देशवासियों की सेवा में समर्पित करूंगा।”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि संसद किसी पार्टी का मंच नहीं है। संसद देश के लिए श्रद्धेय सर्वोच्च संस्था है। इसलिए यह जरूरी है कि सांसद इसके प्रति कुछ हद तक गंभीरता रखें। उन्होंने कहा कि यहां बहुत सारे संसाधन समर्पित किए जा रहे हैं और यहां पर काम-काज के एक-एक सेकंड का उपयोग देश के लाभ के लिए होना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि गंभीरता की कमी से कोई राजनीति तो कर सकता है लेकिन देश नहीं चला सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में आम नागरिकों का विश्वास नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है और हर भारतीय आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज का भारत दबाव में नहीं ढहता। आज का भारत न झुकता है, न थकता है और न ही रुकता है। श्री मोदी ने नागरिकों से विश्वास एवं संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया और कहा कि यह आम लोगों का विश्वास ही है, जो दुनिया को भारत पर भरोसा करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने भारत पर दुनिया के बढ़ते विश्वास का श्रेय आम नागरिकों में बढ़ते भरोसे को दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में सरकार विकसित भारत की मजबूत नींव रखने में सफल रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यही वह आधार है जो वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में इसका नेतृत्व करेगा। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत एक साथ मिलकर ही बदतर स्थितियों से बाहर आया है। श्री मोदी ने विपक्षी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे संकीर्ण राजनीति के लिए मणिपुर की भूमि का दुरुपयोग न करें। प्रधानमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि हमें दर्द तथा पीड़ा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और इससे उबरने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यही आगे बढ़ने का रास्ता है।

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