निर्मल मन में होता है भगवान का बसेरा : श्री ललितप्रभ
उदयपुर, । राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ महाराज ने कहा है कि मन को एकाग्र करना जितना जरूरी है, उसे निर्मल करना उससे भी ज्यादा जरूरी है। जहर से सने हुए पात्र में अगर अमृत भी डाला जाएग तो वह जहर में तब्दील हो जाएगा। मन बंदर से ज्यादा चंचल और गिरगिट से ज्यादा रंग बदलने में माहिर है। दूध में जितना पानी होगा रबड़ी बनने में उसे उतना ही ज्यादा उबलना होगा। हमारे मन में जितने दोष होंगे उतना ही उसे पवित्र करने के लिए ज्यादा प्रयास करना पड़ेगा। मन की दशाएँ सुधर गई तो समझो पूरा जीवन सुधर गया। केवल स्नान करके मंदिर न जाए अपितु अपने को निर्मल बना कर मंदिर जाएँ। भगवान हमारे बाहर के रूप को कम देखते हैं हमारे नीयत और मन को ज्यादा देखते हैं। बाहर-बाहर सँवर चूके, मन अभी सँवरना बाकी है। मन लोभी मन लालची मन चंचल चित चोर, मन के मते न चालिए, पलक-पलक मन ओर।
संतप्रवर नगर निगम के टाउन हॉल मैदान में आयोजित 54 दिवसीय प्रवचनमाला में समझें, मन की लेश्याएँ : दूर करें समस्याएँ विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अध्यात्म में प्रवेश करने के लिए भीतर प्रवेश करना होगा। हम अतीत को देखेंगे तो अनुभव मिलेगा, भविष्य को देखेंगे तो आशाएँ जगेगी, वर्तमान को देखेंगे तो सत्य मिलेगा पर भीतर में देखेंगे तो परमात्मा मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी लेश्या और आभामंडल को सुधारना चाहते हैं तो हमें अपने मन को जरूर पढऩा पड़ेगा। उस व्यक्ति का आभामंडल, अशुभ होता है, काला होता है, जिसके स्वभाव में प्रचंडता होती है, वैर की मजबूत गाँठ होती है, झगड़ालु प्रवृति के होते हैं। विषय लोलुप होते हैं, दूसरों पर आरोप लगाते हैं, उनकी यही मन की अशुभ वृत्ति उनके आभा मंडल और लेश्या मंडल को निर्मल नहीं कर पाती है।
राष्ट्र-संत ने कहा कि मन के परिणामों के आधार पर व्यक्ति का आभामंडल भी उजला होना शुरू हो जाता है। जिसे कार्य अकार्य का ज्ञान होता है, जो श्रेय अश्रेय का विवेक रखता है, जिसके मन में सबके प्रति समभाव है, दया और दान में जिसकी अभिरूचि है, जिसके परिणामों में भद्रता और व्यवहार में प्रामाणिकता है, जिसके भीतर त्यागशीलता और क्षमाशीलता है, जो पक्षपात नहीं करता, भोगों में आसक्त नहीं होता, समदर्शी भाव से राग और द्वेष के भाव से मुक्त है। उस व्यक्ति की लेश्याएँ निर्मल होती हैं, आभामंडल तेजस्वी और श्वेत होता है।
समारोह का शुभारंभ ब्रह्माकुमारी संस्थान रीता बहिन एवं जोधपुर के वरिष्ठ समाज सेवी ओंकार वर्मा तथा खरतरगच्छ युवा परिषद के सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। समारोह का सफल संचालन हंसराज चौधरी ने किया। समिति के सह संयोजक राजीव दलाल के अनुसार गुरुवार को सुबह 8.45 बजे संत चन्द्रप्रभ महाराज समझें, मन की लेश्याएँ : दूर करें समस्याएँ पर विशेष प्रवचन देंगे।