मन बस में नहीं रहता जितनी कोशिश करो उतना ज्यादा ही दौड़ता-प्रवर्तक सुकन मुनि
उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ पंचायती नोहरा उदयपुर के तत्वावधान में आयोजित धर्म सभा में जैन संत प्रवर्तक सुकन मुनि ने कहा कि लोग कहते है, मन बस में नहीं रहता जितनी कोशिश करो उतना ज्यादा ही दौड़ता है। मानव मन किसी शिबीर में बैठने से वश में नहीं होता, वह एक गतिमान तत्व है। यह तो चलता ही रहता है। दूनियादारी हम मन चलाते है। अगर कहा जाय कि बंदर को याद मत करो तो वह बार बार उछलेगा, बंदर को ही याद करेगा मन वश में नहीं होता। केवल हमें उसे सही जगह लगाना है। मन लग सकता है। मन चंचल पदार्थ है। अगर आप उसे एक जगह बांध कर रखना चाहो तो वह दो घड़ी याने अडतालिस मिनट से ज्यादा नहीं रहेगा। यह भगवान का सिद्धांत है। यह सत्य है।
उपप्रवर्तक अमृत मुनि ने कहा कि मन वश में नहीं होता, पर किसी जगह लग सकता है। जैसे भोग के बजाय त्याग में, सांसारिक बातों की बजाय आध्यात्मिकता में लग सकता है। तुच्छ पदार्थों से निकालकर उसे अच्छे में लगा सकते है। इसलिए स्वाध्याय पर जोर दिया है। स्वाध्याय सरल है, ध्यान कठिन है। स्वाध्याय में अधिक जल्दी मन लगता है और ज्ञान बढ़ता है, समझ बढ़ती है। अज्ञान दूर होता है। मन को सही जगह लगाने का यह सरल मार्ग है। प्रतिक्रमण में भी चार, आठ, बारह लोगस्स का ध्यान करते है। क्योंकि बिलकुल कुछ नहीं किया तो मन बाहर जायेगा। इस अवसर पर महेश मुनि, अखिलेश मुनि तथा डॉ वरुण मुनि का भी सान्निध्य प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर जैन समाज के वरिष्ठ श्रावक श्रविका उपस्थित रहे और धर्म सभा में श्राविकाओं ने तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इस अवसर पर गौरव वल्लभ भी मौजूद थे।