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जीवन में अच्छे कर्मों के बीज बोएं: संत चन्द्रप्रभ

 
भगवान महावीर का जन्म-वाचन महोत्सव कल, रात्रि में विराट भजन संध्या का होगा आयोजन
टाउन हॉल मैदान में मनाया गया आजादी का महोत्सव।
उदयपुर, 16 अगस्त। राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ ने कहा कि भगवान महावीर को अपने कानों में कीलें इसलिए खानी पड़ी क्योंकि उन्होंने पूर्व भव में अपने सेवक के कानों में खोलता हुआ शीशा डलवा दिया था। जब तीर्र्थंकर पुरुषों को भी किए गए कर्मों क ा फल भोगना पड़ता है तो हम भला अपने कर्मो से कैसे बचेंगे। इसलिए हम कर्म करते समय सावधान रहें। याद रखें, हम कर्म करने में स्वतंत्र हैं, पर वापस उसका फल भोगने में परतंत्र हो जाते हैं। हमें चाहिए कि हम ऐसे कर्मों के बीज न बोएं कि जिनकी फसल काटते वक्त हमें खेद और ग्लानि का अनुभव करना पड़े।
संत श्री चन्द्रप्रभ टाउन हॉल मैदान में आयोजित 54 दिवसीय प्रवचनमाला में प्रभु महावीर की भव-यात्रा विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि कपड़े बदलकर संत बनना आसान है, पर व्यक्ति संत उस दिन बनता है जब उसका स्वभाव बदल जाता है। इसके लिए हम हाथ में दान का, दिल में दया का और जुबान में मिठास का अमृत रखें व अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत भाग पुण्य कार्यों में अवश्य लगाएं। आप अपने बच्चों के लिए भले ही बादाम की व्यवस्था कर लें, पर गरीब पड़ोसी बच्चे के लिए कम से कम मूंगफली की व्यवस्था करने का सौभाग्य ले ही लें। याद रखें, कमाता तो हर कोई है, पर ईश्वर की जब कृपा होती है तब व्यक्ति सत्कार्यों में धन लगा पाता है। उन्होंने कहा पर्युषण पर्व का चौथा दिन हमें चार कषायों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है। जो व्यक्ति क्रोध की बजाय क्षमा को, अहंकार की बजाय विनम्रता को, माया की बजाय मैत्री भाव को और लोभ की बजाय संतोषव्रत को जीता है, वह अशुभ कर्मों के बंधन से बच जाता है।
राष्ट्र-संत ने इतिहास के घटना प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक तपस्वी संत भी क्रोध के कारण मर कर चंडकौशिक सांप बना जाता है। भगवान बाहुबली जैसे महायोगी भी अपने छोटे-से अहंकार के कारण परमज्ञान से दूर हो जाते हैं और पल भर के लिए अंहकार का त्याग करते ही उन्हें परम ज्ञान प्राप्त हो जाता है, और माया व कपट से घिरा हुआ सकुनी न केवल कौरव वंश अपितु खुद के भी विनाश का कारण बनता है। हमें निर्मल भावना में जीना चाहिए। भगवान महावीर का जीवन चरित्र हमें यही पाठ पढ़ाता है कि अगर उन्होंने अपने कानों में ग्वाले के द्वारा ठोके गए कीलों को भी सहन कर लिया तो हम किसी के दो कड़वे शब्द सहन करने का बड़प्पन तो दिखा ही सकते हैं।
इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने राष्ट्र-भक्ति के गीतों के साथ झूमने का आनंद लिया और मैदान में श्रद्धालुओं ने हजारों तिरंगे हाथ में लहराकर आजादी का जश्न मनाया। स्वतंत्रता दिवस की 77 वीं वर्षगाठ पर 77 फीट का तिरंगा जैन सोशल ग्रुप एवं खरतरगच्छ महिला मंडल के भाई-बहिन जब पांडाल में लेकर आए तो लोगों ने राष्ट्र-भक्ति के गीतों के साथ तालियाँ बजाकर तिरंगे का स्वागत किया।
भगवान महावीर का जन्म-वाचन महोत्सव एवं विराट भजन संध्या कल – वासुपूज्य मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री राज लोढ़ा के अनुसार गुरुवार को सुबह 8.45 बजे पर्युषण के पांचवे दिन राष्ट्र-संतों के सान्निध्य में भगवान महावीर का जन्म-वाचन महोत्सव मनाया जाएगा जिसमें भगवान की माता त्रिशला महारानी के द्वारा देखे गए चौदह स्वप्नों को उतारा जाएगा एवं पालना झुलाया जाएगा और रात्रि में 8.00 बजे टाउन हॉल मैदान में भीलवाड़ा की लोकप्रिय गायिका सुमन सोनी की विराट भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। जिसमें तीर्थंकरों की भक्ति के साथ नाकोड़ा भैरव देव एवं पद्मावती माता के भजन भी गाए जाएँगे। भजन-संध्या में पालना जी की खास भक्ति होगी।

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