ग्रामीण आांगनवाड़ियों द्वारा प्राप्त किए गए लक्ष्य
आंगनवाड़ी सेवाओं के अंतर्गत, देश भर में लक्षित लाभार्थियों अर्थात 6 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं तथा केवल पूर्वोतर और आकांक्षी जिलों में किशोरियां (14 से 18 वर्ष तक की आयु की) को 6 अनिवार्य सेवाओं जिनमें (1) अनुपूरक पोषण (2) टीकाकरण (3) स्वास्थ्य जांच (4) रेफरल सेवाएं (5) पूर्व विद्यालयी और औपचारिक शिक्षा तथा (6) पोषण और स्वास्थ्य जांच शामिल है, का पैकेज प्रदान किया जाता है। इन 6 सेवाओं में से 3 सेवाएं अर्थात टीकारण, स्वास्थ्य जांच तथा रेफरल सेवाएं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत जन स्वास्थ्य अवसंरचना के माध्यम से प्रदान की जाती है।
आंगनवाड़ी सेवाएं एक वैश्विक स्वयं चयन वाली स्कीम है। आज की तारीख तक, इस स्कीम के अंतर्गत 10.3 करोड़ से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण किया जा चुका है, जिसमें पूर्वोतर और आकांक्षी जिलों में 75.58 लाख गर्भवती महिलाएं, 46.87 लाख स्तनपान कराने वाली माताएं 0 से 6 माह तक के 40.87 लाख बच्चे, 6 माह से 3 वर्ष तक के 4.19 करोड़ बच्चे 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के 4.29 करोड़ बच्चे और 14 से 18 वर्ष तक के 22.87 लाख किशोरियां शामिल हैं। अनुपूरक पोषण वर्ष में 300 दिन के लिए नीचे दिए गए पोषण मानदण्डों के अनुसार प्रदान किया जाता है।
3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को आरम्भिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) प्रदान की जाती है, जो कि आंगनवाड़ी सेवाओं के अंतर्गत आने वाली 6 सेवाओं में से एक सेवा है। गुणवतापरक आरम्भिक बचपन विकास, देखभाल और शिक्षा के वैधिक प्रावधान के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों को प्राप्त करने के लिए एक नया ईसीसीई कार्यक्रम ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ की शुरुआत की गई है जिसमें नाटक आधारित, गतिविधि आधारित प्रशिक्षण तरीके का उपयोग किया जाएगा। पाठ्यक्रम का ढांचा ज्ञान संबंधी कौशल, शारीरिक, भाषा संबंधी, सामाजिक भावनात्मक तथा सांस्कृतिका कलात्मक क्षेत्रों से संबद्ध होगा।
यह जानकारी आज राज्य सभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।