छत्तीस कौम के हजारों श्रद्धालुओं ने मनाया महावीर जन्मोत्सव
टाउन हॉल में मैदान में उतरे माता त्रिशला के सपने हजारों लोगों ने झुलाया पालना।
उदयपुर, । टाउन हॉल मैदान में छत्तीस कौम के हजारों श्रद्धालुओं ने गुरुवार को भगवान महावीर के जन्म कल्याणक महोत्सव के पावन पर्व पर राष्टï्र संंत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर, महान दार्शनिक संतश्री चन्द्रप्रभ महाराज और मुनि शांतिप्रियसागर महाराज के सान्निध्य एवं लोक कल्याणकारी चातुर्मास समिति तथा वासुपूज्य महाराज मंदिर ट्रस्ट के तत्त्वावधान में भव्यातिभव्य महावीर जन्मोत्सव मनाने का आनन्द उठाया। सभी सत्संगप्रेमियों ने महावीर भगवान की जय के जयकारे लगाते हुए उनके मनोहारी झूले को झुलाया। इस अवसर पर देव देवांगनाओं का रूप बनाकर आए सैकड़ों भाई-बहिनों ने प्रभु-भक्ति में नृत्य किया। संत ललितप्रभ के महावीर प्रभु की भक्ति पर गाए गए बजे कुंडलपुर में बधाई, नगरी मेें वीर जन्में महावीर जी। जय जयकार जयकार लिया प्रभु अवतार जय जयकार, हमें खुशी है तुम्हें खुशी है खुशियाँ अपरम्पार…जय बोलो महावीर स्वामी की, घट घट के अंतरयामी की… देखे देखे हैं स्वप्न महान माँ त्रिशला देखेÓ जैसे भजनों को सुनकर हजारों भाई-बहिन दोनों हाथ उठाकर मस्ती में झूमे तो लगा मानो टाउन हॉल मैदान में पावापुरी धाम साकार हो उठा हो। संतों द्वारा महावीर जन्म वाचन का ऐसा विराट महोत्सव मनाना उदयपुरवासियों के लिए यादगार विरासत बन गया।
चौदह स्वप्नों के दर्शन करवाए-इस अवसर पर माता त्रिशला द्वारा देखे गए चौदह स्वप्न-शेर, हाथी, वृषभ, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वज, कुम्भ, पद्म सरोवर, क्षीरसागर, देवविमान, रत्न राशि और अग्निशिखा को लाभार्थियों द्वारा सभी सत्संगप्रेमियों को दर्शन करवाए गए और उनका विवेचन संतप्रवर द्वारा किया गया। जब संत चन्द्रप्रभ ने भगवान का जन्म वांचन किया तो श्रद्धालुओं ने नारियल फोड़कर सभी को बधाईयाँ दीं। महालक्ष्मी का चढ़ावा गजेन्द्रकुमार-नरेन्द्रकुमार भंसाली परिवार ने लिया।
महावीर मानवता की सर्वोच्च पहचान-इस अवसर पर संबोधित करते हुए संत ललितप्रभ ने कहा कि भारत की धरती का यह सौभाग्य है कि यहँा पर महावीर जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। भगवान महावीर ने व्यसन मुक्त, अहिंसक और स्वस्थ समाज की रचना की। वे भारतीयता, मानवता और नैतिकता की सर्वोच्च पहचान है। उनका जीवन और संदेश आज भी मानव समाज को प्रकाश की राह दिखा रहे हैं। जातिवाद, हिंसक युद्ध, पशु बलि, नारी अत्याचारों का विरोध कर महावीर ने उज्जवल भविष्य की नींव रखी। उनके अहिंसा, शांति, सहिष्णुता, संयम, नरमाई और भाईचारा जैसे सिद्धान्तों को अपनाकर हम परिवार-समाज और विश्व में स्वर्ग का निर्माण कर सकते हैं।
समारोह का शुभारंभ चातुर्मास लाभार्थियों ने दीपप्रज्वलन के साथ किया। अध्यक्ष राज लोढ़ा के अनुसार राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ शुक्र वार को प्रात: 8.45 बजे महान तीर्थंकरों का महान जीवन-दर्शन विषय पर विशेष प्रवचन देंगे।